Saturday, April 27, 2019

कौन खाएगा खजुराहो के खजूर- अमानगंज की बेटी या एबीवीपी के विष्णु?


दस्यु सम्राट ददुआ का बेटा भी रोचक बना रहा बुंदेलखंड का मुकाबला

अमित शाह बढ़ा गए भाजपाइयों का हौसलापत्नी के लिए नातीराजा का जोर



मध्यप्रदेश में सबसे गर्म तासीर वाले खजुराहो का मिजाज इन दिनों मौसम की ही तरह गरम है। लोकसभा चुनाव में इस सीट पर इस बार मुकाबला खासा रोचक होने की वजह भी खास हैं। खजुराहो पैलेस निवासी अमानगंज की बेटी और पन्ना एवं राजनगर की बहू महारानी कविता सिंह की मोदी वाले अंडर करंट के साथ पन्ना के अपने अस्थायी ठिकाने को परमानेंट ठौर में तब्दील करने का दम भरने वाले विष्णुदत्त शर्मा से टक्कर है। इस सीधे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के जतन में जुटे दस्यु सम्राट ददुआ के बेटे वीर सिंह भी खजुराहो के राजनीतिक तापमान को बढ़ा रहे हैं।
कविता का मायका, राव साहब का घर
शुरूआत करते हैं कविता सिंह के मायके से। पन्ना से अमानगंज के रास्ते पर द्वारी गांव से करीब
कविता सिंह
पांच किमी दूर है उनका मायका भड़ार। प्रधानमंत्री सड़क से मुख्य मार्ग से जुड़ा भड़ार मजरा-टोला है। गांव की शुरूआत होती है राव साहब शंकर प्रताप सिंह के हवेलीनुमा घर से। घर के दरवाजे पर कांग्रेस का एक झंडा लगा है तो आंगन में खड़ी जेसीबी
, बोलेरो और हार्वेस्टर उनकी संपन्नता की गवाही दे रहे हैं। इमली का पुराना झाड़ और फलों से लदा आम का पेड़ आंगन को पुरसुकून ठंडक देते हैं। राव साहब अमानगंज में बेटी के लिए प्रचार पर निकले थे। पूरे गांव में सिर्फ कांग्रेस के ही झंडे हैं और गांव वाले अपनी बेटी,बहन और बिन्नू राजा (कविता सिंह) को ही शतप्रतिशत वोट जाने की कसमें खाने के साथ भाजपाराज में गांव के अविकसित ही रह जाने की दुहाई दे रहे थे। लेकिन इसके उलट गांव के खपरैल घरों के बीच झांकते बिना रंगे पक्के मकान और हर घर में शौचालय यहां मोदी की दो योजनाओं का स्वत: ही प्रचार कर रहे हैं। समस्याओं की पूछो तो हैंडपंप पर स्नान करते लोग भी पानी का दूसरा कोई इंतजाम नहीं होने की बात कहते हैं। गांव की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी युवती शीलम गिरी, जो पन्ना में बीएससी फाइनल की स्टूडेंट हैं और रोज बस से कॉलेज जाती हैं। पांचवी तक के स्कूल को देख कर बताती हैं कि मिडिल स्कूल की जरूरत है, पानी का स्थाई इंतजाम और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी चाहिए। बिन्नू राजा के साथ सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ चुके रमेश दुबे उनकी व्यवहारकुशलता, मिलनसारिता और कुशाग्र बुद्धि के किस्से सुनाते हैं। कविता सिंह यदा-कदा गांव आती हैं। कुछ ऐसे महिला-पुरूष मिले जिन्होंने बिन्नू राजा को बचपन में गोद में खिलाया तो कुछ बच्चे वो हैं जो उनकी गोद में खेले हैं।
कविता के गांव भड़ार का प्रायमरी स्कूल
अमानगंज से दूर पन्ना में पोस्टर लगे हैं पन्ना की भानेज बहू कविता सिंह को जिताएं। पन्ना की बहू इसलिए क्योंकि खजुराहो वाले नाती राजा कुंवर विक्रम सिंह पन्ना राजघराने के भांजे हैं। यानी कांग्रेस प्रत्याशी ससुराल राजनगर, मामा गांव पन्ना और मायका अमानगंज (गुन्नौर विधानसभा) में रिश्तों के दम पर भारी दिख रही हैं। कमजोर भाजपा प्रत्याशी विष्णुदत्त शर्मा भी नहीं लगते। महज एक सप्ताह पहले ही उम्मीदवारी मिलने के बाद उन्होंने पन्ना में मुकाम बनाया है। गुटों में बंटी भाजपा के अधिकांश नेता मन से या बेमन से उनके लिए मैदान में हैं। जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष रहे संजय नगाइच और पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह आपसी खटास भूल कर उनके लिए काम करे रहे हैं। जिलाध्यक्ष सदानंद गौतम के हाथ में कमान है तो एबीवीपी की टीम भी अपने लीडर के लिए जुटी है। अपनी सभाओं में विष्णुदत्त शर्मा यानी कार्यकर्ताओं के वीडी भैया इस क्षेत्र से अपनी नातेदारी बताने से नहीं चूकते। छतरपुर जिले में ही रावत परिवार उनकी ससुराल है और स्वर्गीय केदारनाथ रावत प्रदेश की कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री रहे हैं। एबीवीपी के महाकौशल क्षेत्र के संगठन मंत्री होने के नाते उनका यहां किया गया काम और जुड़ाव उनकी मदद कर रहा है। पहचान का संकट उन्हें भी नहीं दिखता। छतरपुर विश्वविद्यालय बनाने के लिए किया गया उनका संघर्ष और उसमें योगदान देने वाली टीम प्राणप्रण से उनके लिए जुटी दिखती है।
वीडी शर्मा
छतरपुर, पन्ना और कटनी जिले तक फैले इस संसदीय क्षेत्र में दोनों उम्मीदवारों के पैर किसी एक जगह नहीं टिक रहे। 
वीडी शर्मा सुबह खजुराहो तो रात को बहोरीबंद में होते हैं। बहोरीबंद के करीब 80 गांवों का केंद्र कहे जाने वाले बाकल में भी उनकी सभा में भीड़ जुटती है। जब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देते हुए भारत की अस्मिता और राष्ट्रवाद की बातें करते हैं तो ताली बजती है। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान और आतंकवादी कैंप पर बम गिराने की बात पर तो खूब तालियां मिलती हैं। यहीं एक स्थानीय पत्रकार वीडी से सवाल करता है कि भाजपा ने अभी तक बाहरी उम्मीदवार ही दिए, जो चुनाव जीतने के बाद फिर नहीं आते। विष्णुदत्त का जवाब सुनिए- मैं इतना यहां रहूंगा कि आप ही कहने लगेंगे कभी कहीं जाते क्यों नहीं हैं। खुद को बाहरी कहने पर वे इस क्षेत्र से अपने जुड़ाव के सबूत देने लगते हैं। दो दशक में इस क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में अपनी मौजूदगी और यहां के लिए छात्रों के संगठन बतौर किए गए कार्य उनकी वो थाती है, जिसका जवाब सवाल पूछने वाले के पास भी नहीं होता। विष्णुदत्त शर्मा को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजनगर की जनसभा में भविष्य का बड़ा नेता यूंही नहीं बताया था, उन्हें मिल रहा भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन साबित करता है कि प्रदेश भाजपा के महामंत्री के तौर पर वे अभी भी इतने बड़े नेता है कि विधायक रह चुके नेता भी उनसे सीधे तौर पर कुछ कहने में संकोच करते हैं। पार्टी के भीतर की गुटबाजी की शिकायत लोग इसीलिए उनसे करने में परहेज कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कविता सिंह के लिए उनकी कांग्रेस की टीम और पति विक्रम सिंह नाती राजा को मिलने वाला जनसमर्थन है। राजनगर के साथ अमानगंज में उनका पलड़ा भारी बताया जाता है। पन्ना में भी उन्हें अच्छा रिस्पांस होने की बात कही जा रही है। कटनी जिले के विधानसभा क्षेत्रों में वीडी का पलड़ा भारी दिखता है। विजयराघवगढ़ के भाजपा विधायक संजय पाठक कहते हैं- कटनी से एकरफा लीड मिलेगी, बहोरीबंद में भाजपा प्रत्याशी के आगे रहने का दावा वहां हाट-बाजार के लोग भी करते हैं, लेकिन इसी बीच बहोरीबंद से दो बार विधायक रहे नीशीथ पटेल की कांग्रेस में वापसी समीकरण बदलने का कांग्रेसी जतन क्या गुल खिलाएगा, अभी कहा नहीं जा सकता।
सपा उम्मीदवार वीर सिंह अखिलेश यादव के साथ
इस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार वीर सिंह भी हैं, जिन्हें बहुजन समाज पार्टी का समर्थन हासिल है। सवर्णों के आंदोलन का असर तो यहां नहीं दिखता, लेकिन ओबीसी को एकजुट करने के प्रयास चल रहे हैं। इनकी काट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों जुट गए हैं। भाजपा से तो पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती वीडी के लिए तीन-चार सभाएं लेने आने वाली हैं।
बहरहाल खजूर के जंगल की वजह से खजुराहो नाम पाने वाले विश्व धरोहर वाले इस क्षेत्र में सैलानियों की गाडिय़ों से ज्यादा यदि किसी की आमदरफ्त है तो वह है प्रचार वाहनों की। गांवों में एलईडी वाले रथ घूम रहे हैं तो चोंगे लगे वाहन भी और बुंदेलखंड का परंपरागत दीवार लेखन तो है ही। खजुराहो के पुराने नतीजे भाजपा की तरफ इसके झुकाव और बाहरी पर भरोसे की गवाही देते हैं। इस बार मुकाबला बेटी-बहू और बाहरी का है। वो बाहरी जो क्षेत्रवासियों को कहीं से भी बाहरी नहीं लगता है।


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